As usual this year Navratri Celibration has started in Banglore Ashram. As I am not there in Banglore Ashram I am missing a lot.
This is for my beloved Guruji -
मेरे मेह्बूब मेरे दिलबर मेरे रह्बर,
आज के दिन भी तेरि मह्फिल सजि होगि,
जोग दर जोग लोग अये होन्गे,
मुन्तझिर होन्गे तुझे देखने, तुझे सुनने को,
आज के दिन फिर तु बन सवरकर आया होगा,
धीरे धीरे हाथो को जोडे हुए,
अन्धेरो बादलो से जैसे चान्द निकलता हो,
गुल्फसानि भि हुइ होगि अम्रुत वर्शा भि,
तुने हयातो कायनातो के राझ खोले होन्गे,
फिर एक कुफ्र कि दीवार भी गिरि होगि,
वोह दीवार जिस्ने कर दि श्याह पिछलि सदिया भी,
तेरे तराजु मै सच और झूठ तोले होगे,
खुदाइ के नाम पर जिन्होने दुकने सज रखि हो,
उनकि ताबूत मे किले गाडि होगि,
भटकति हुइ रूहो को तसकिन मिलि होगि,
जन्मो के प्यासो को जाम पिलये होगे,
झूम कर उठे होगे रिन्द तेरे मेखाने से,
तुने क्या कहा होगा आज क्य कहा होगा,
यहि दिल सोचता है यहि दिल पुछ्ता है,
मेरे मह्बूब मेरे रहबर मेरे दिलबर,
अफसोस मै नहि हु आज वहा मै नहि हु
मेरे मह्बूब मेरे दिलबर मेरे रहबर
यहि दिल सोचता है यहि दिल पुछ्ता है
Jai Gurudev